December 8, 2015

Hello .....

नमस्कार ........ 
मैं जो लिखने जा रही हूँ उसे कृपया ध्यान से पढ़ें ..., वैसे अगर ध्यान से नही पढोगे तो भी ठीक है कुछ खास बिगड़ेगा नही :) , इसलिए जैसे चाहे वैसे पढ़ लीजियेगा, उठते, बैठते, लेटते हुए, जैसे चाहे मर्ज़ी, मतलब तो सिर्फ पढने से है ..... 
ये जो स्माइली मैं बना रही हूँ इनका मतलब ये मत समझिएगा कि मैं मुस्कुरा रही हूँ, एक्चुअली मुझे बीच-बीच में ऐसे थोडा मुस्कुराता सा चेहरा बनाने की आदत सी हो गयी है .... इसीलिए बस ....  चलिए अब बहुत हो गयी भूमिका ..... वैसे भूमिका से मुझे याद आया कि स्कूल टाइम में जब कभी निबंध लिखने को बोला जाता था तब उसमे भूमिका भी लिखनी होती थी, सच कहूँ तो मुझे कॉलेज तक समझ नही आया कि भूमिका कैसे लिखी जाती है :) ...., वो तो भला हो जागरण जंक्शन वालो का जिन्होंने मुझे भूमिका लिखना भी सिखा दिया ..... चलो अब भूमिका को खत्म करते हैं और वास्तविक मुद्दे पर आते हैं ....... बी सीरियस ..... 8-)

फेसबुक पर मेरी कविताये पढ़-पढ़ के लोग पता नही मेरे बारे में क्या-क्या राय बना लेते हैं, :) खैर जो भी बनाये मैं तो जैसे हूँ वैसी ही हूँ,  आज कल बहुत सोचा है मैंने अपने बारे  में, खुद को बदलने के बारे में ... सोच रही थी कि खुद को थोडा बदल लूँ, मैं फ़िलहाल जो हूँ उससे बहुत लोगो को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है, मैं बहुत बार प्रॉमिस करती हूँ कि आगे से ऐसा नही करूंगी और फिर खुद ही तोड़ देती हूँ :D दो-तीन घंटो में ही ..... कई बार ऐसा महसूस करती हूँ जैसे पागल हो गयी हूँ मैं .... >:o खैर पागल हूँ या नही क्या फ़र्क पड़ता है .... :/ 

जो कहने के लिए इतनी बड़ी भूमिका बनाई है मैंने वो अब तक नही लिख पाई हूँ, एक्चुअली मैं जो लिखना चाहती हूँ वो कैसे शुरू करूं समझ में नही आ रहा .... फिर भी कोशिश करती हूँ क्या पता समझ में ही आ जाये ... :) 

देवनिता मेरी पहली किताब या यूँ कहिये कि मेरा पहला प्यार :) हाँ पहला प्यार .... अपनी किताब से बहुत प्यार करने लगी हूँ, और वैसे भी एक जगह मैंने पढ़ा था .... ur book is like ur baby......  B| ....., देवनिता ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है, वो भी जो मैं सीखने की कोशिश में थी और वो भी जो मैंने कभी सीखने के बारे में सोचा भी नही था ......, देवनिता ने मुझे सपनो और हकीकत के बीच का फ़र्क समझाया, जितनी स्पीड से हम सपने देख लेते हैं न, उतनी स्पीड से सपने हकीकत नही बनते, ख्वाबो को हकीकत बनने में एक वक़्त गुजर जाता है, और ये गुजरा हुआ वक़्त हमे जिंदगी की मुश्किलों के बारे में समझा देता है ...,  

आज कल जो महसूस कर रही हूँ एक अलग ही अनुभव है वो, ऐसा लग रहा है जैसे किसी अनजान रास्ते पर चलते हुए लगता है, मोड़ आया तो मुड लिए वरना चलते रहे ..... ऐसा ही हो रहा है, कर रही हूँ और सीख रही हूँ, करने के बाद पता चलता है कि ये काम ऐसे होना था, महसूस हो रहा है जैसे एक-एक कदम रख कर चलना सीख रही हूँ ...., बहुत नया है ये सब .... 

किताब लिखना, किताब प्रकाशित होना और फिर उसके बाद, बहुत कुछ करना पड़ता है तब जाकर सफलता का एक हल्का सा स्वाद चखा जाता है ......, एक और बात सीखी है मैंने, हालात चाहे जो भी हो, कोशिश करते रहने से एक दिन कामयाबी मिल ही जाती है ......रोना, हँसना, उदास होना, निराश होना सब अपनी जगह है लेकिन अगर इन सब के साथ भी आप कोशिश कर रहे हैं तो एक दिन सफल जरुर होंगे ..... हाँ एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि ये जो सफलता है न इसकी चाल चींटी की चाल जैसे है ...., आप के दरवाजे तक आने में इसे समय की जरूरत होती है ......, थोडा समय दीजिये ये पक्का आप के घर तक भी पहुँच ही जाएगी .... :) 

कहाँ वो दिन था जब मैं सोचती थी कि अपने लिखे को टाइप कैसे करूं, लैपटॉप या कंप्यूटर नही था न हमारे पास, लेकिन मेहनत, कर्म, और शिव-शक्ति की कृपा से धीरे-धीरे सपने हकीकत बनते जा रहे हैं .....touch wood ...  

कहाँ मैं सोच रही थी की किताब कैसे छपेगी ( कोई पब्लिशर हाँ नही बोला न :/ ) और कहाँ अब मेरी ऑफिसियल वेबसाइट भी बन कर तैयार हो गयी है ..... आप यहाँ से भी देवनिता के लिए आर्डर दे सकते हैं .... क्योंकि फ़िलहाल amazon.in पर काम जारी है ....... 

http://sonamsaini.com/?post_type=product

देवनिता के लिए आर्डर देने के साथ-साथ आप लोग अपने रिव्यु भी यहाँ पोस्ट कर सकते हो ... तो देर किस बात की बूंद-बूंद से ही तो घड़ा भरता है .... :P :) :/



No comments:

Post a Comment