December 14, 2015

मेरी डायरी से .......बिखरे पन्ने -2


जिंदगी में सब को सब कुछ नही मिलता ये दिल को बहलाने वाला सबसे अच्छा जुमला है, अक्सर हम इसे अपने जीवन में दोहराते रहते हैं खासकर तब जब हम कुछ पाने में नाकामयाब साबित होते हैं ...

कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि क्या जो मुझे नही मिला वो मुझे नही मिलना था, या फिर वो मुझे मिलना तो था लेकिन मेरे कुछ खास अपनों की वजह से मुझे नही मिल पाया .....

मेरे कुछ खास अपने ....., वो अपने जो अब खास नही रहे या फिर वो खास जो अब अपने नही रहे ....., एक सिक्के को चाहे इस तरफ से देखो या दूसरी तरफ से मतलब सिर्फ एक ही होता है - उसका कीमती होना ....
आज मेरी उम्र सोलह साल है, दो साल बाद मैं व्यस्क हो जाऊंगा, फिर मैं चाहे जो करूं कोई मुझे नही रोक सकता, व्यस्क होने का यही तो मतलब होता है न, जो दिल में आये कर लो, बिना ये सोचे-समझे कि आपके किये का आपके अपनों पर क्या प्रभाव पढ़ेगा, उनकी जिंदगी किस तरह से बदल जाएगी ....,

आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं भावुक हो रहा हूँ, हाँ मैं भावुक हो रहा हूँ क्योंकि मैं हो जाता हूँ भावुक जब मैं खुद से जिक्र कर बैठता हूँ माँ का .......

माँ ....., मैं कुछ खास नही जानता अपनी माँ को, हाँ मगर जितना जानता हूँ वो काफी है मेरे मन में उनके लिए नफरत पैदा करने के लिए, हाँ मैं नफरत करता हूँ अपनी माँ से ....,

मेरे अंदर सिर्फ नफरत भरी है उनके लिए मगर फिर भी मेरे दिल के किसी कौने में न जाने क्यों एक उम्मीद सी आज भी है कि शायद उन्हें भूले से याद आ जाये मेरी और वो लौट आयें मेरे पास वापस .....,
एक दशक हो गया है उन्हें देखे हुए ....., जब भी चोट लगती है न जाने क्यों इतनी नफरत के बावजूद कह उठता हूँ माँ...... लौट आओ न....

आगे कल ....

Sonam Saini

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