September 14, 2015

दर्द

दर्द दूर हो जाता है 
मगर खत्म नही होता 
कुछ तो है अंदर 
जो रह-रह कर 
चुभता रहता है   …… 
आंसुओ की कुछ बूंदे 
छलक पड़ती है आँखों से 
वो कौन है जो 
मेरे अंदर बैठकर रोता रहता है  …… 
सिसकियाँ सुनती हूँ अक्सर 
बंद तनहा कमरे में 
है कोई तो जो मुझको 
मुझसे ही जुदा रखता है  …… 
छोड़ कर साथ मेरा सब दोस्त 
मुझको तनहा कर गए 
हम अकेले थे कल भी और 
आज भी अकेले ही रह गए  …… 
सोचती हूँ रिश्तो की 
क्या बस यही सच्चाई है 
दिल किया तो संग हो लिए 
दिल किया तो छोड़ दिया  …… 
अब न भरोशा खुद पर रहा 
और न इन रिश्तो पर  ……
जितनी बची है ज़िंदगी 
बस अकेले ही जीना है 
किसी के साथ की अब उम्मीद नही
जानती हूँ कि  
उम्मीदें अक्सर टूट जाया करती हैं  ....!!!

3 comments:


  1. मेरे अंदर बैठकर रोता रहता है ……
    सिसकियाँ सुनती हूँ अक्सर
    बंद तनहा कमरे में
    है कोई तो जो मुझको
    मुझसे ही जुदा रखता है ……
    छोड़ कर साथ मेरा सब दोस्त
    मुझको तनहा कर गए
    हम अकेले थे कल भी और
    आज भी अकेले ही रह गए ……
    सोचती हूँ रिश्तो की
    क्या बस यही सच्चाई है
    ​​बहुत बढ़िया शब्द !!

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  2. Replies
    1. rishte na hote jindgi main to jindagi be rang hoti
      kisi se umeed ke bina jee ke dekho jindagi fir rangeen ho jayi gayi

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