September 14, 2015

दर्द

दर्द दूर हो जाता है 
मगर खत्म नही होता 
कुछ तो है अंदर 
जो रह-रह कर 
चुभता रहता है   …… 
आंसुओ की कुछ बूंदे 
छलक पड़ती है आँखों से 
वो कौन है जो 
मेरे अंदर बैठकर रोता रहता है  …… 
सिसकियाँ सुनती हूँ अक्सर 
बंद तनहा कमरे में 
है कोई तो जो मुझको 
मुझसे ही जुदा रखता है  …… 
छोड़ कर साथ मेरा सब दोस्त 
मुझको तनहा कर गए 
हम अकेले थे कल भी और 
आज भी अकेले ही रह गए  …… 
सोचती हूँ रिश्तो की 
क्या बस यही सच्चाई है 
दिल किया तो संग हो लिए 
दिल किया तो छोड़ दिया  …… 
अब न भरोशा खुद पर रहा 
और न इन रिश्तो पर  ……
जितनी बची है ज़िंदगी 
बस अकेले ही जीना है 
किसी के साथ की अब उम्मीद नही
जानती हूँ कि  
उम्मीदें अक्सर टूट जाया करती हैं  ....!!!

September 1, 2015

मानसिक रोगी .....

मानसिक रूप से बीमार होना
शारीरिक रूप से बीमार होने से
कहीं ज्यादा खतरनाक होता है
ऐसा मैंने महसूस किया है
रोग जो होता है शारीरिक
दिख जाते हैं उसके लक्षण
जल्दी ही  …
जबकि मानसिक रोगी
सामान्य दिखता है बाहर से
जल्दी से पता नही चल पाता है
मानसिक रोगो का    ……
मानसिक रोगी ढूंढता रहता है
हर वक़्त किसी ऐसे को
जिसे फंसा सके वो अपनी बातो में
रहता है हर वक़्त तलाश में
कि कोई मिले और वो
निकाल दे अपने मन का गुब्बार
उस के सामने  ……
मानसिक रोगी अक्सर
अशांत रहता है
क्षुब्ध रहता है
वह जानता है कि वह मानसिक रोगी है
मगर फिर भी झुठलाता जाता है
मानसिक रोगी हमेशा परेशान रहता है
घुटता रहता है अंदर ही अंदर
क्या सही है और क्या गलत
मानसिक रोगी कहाँ जान पाता है
कई बार होता है उसे अंदाजा मगर
कि जो वह करता है
जो उसने किया है
वो कोई सामान्य इंसान नही कर सकता
वह असामान्य है इसीलिए
दोहराता है बार-बार
अपनी एक ही गलती को   ……
मानसिक रोगी
दिमाग से कमजोर होता है
मानसिक रोगी अक्सर
दिल से फैसले लेता है  …… !!!